मैं इज़हार कैसे करू
अलफ़ाज़ में कैसे बयान करू -
मेरी रूह मुझसे छिन गई,
जिस दिन मेरे पिता को ऊपर वाले ने छीन लिया ।
रश्क़ होने लगा उनसे, जिनको जन्नत में दिखे मेरे पिता;
हाँ, मौत का एक दिन मुअय्यन है मगर
उनके जाने से मेरी जन्नत छिन गई मुझसे ।
मैं यहाँ इस जहान में मुंतज़िर,
तमाम थी, अब अधूरा है दिल ।
अलफ़ाज़ में कैसे बयान करू -
मेरी रूह मुझसे छिन गई,
जिस दिन मेरे पिता को ऊपर वाले ने छीन लिया ।
रश्क़ होने लगा उनसे, जिनको जन्नत में दिखे मेरे पिता;
हाँ, मौत का एक दिन मुअय्यन है मगर
उनके जाने से मेरी जन्नत छिन गई मुझसे ।
मैं यहाँ इस जहान में मुंतज़िर,
तमाम थी, अब अधूरा है दिल ।